किसी समय हसनगढ में ऐसे दो दरवाजे होते थे ! सिर्फ इनके अंदर ही बसावट होती थी | गांव के सिर्फ यही प्रवेश द्वार होते थे जो शाम को बन्द कर दिए जाते थे ! अब सिर्फ एक ही बचा है जिसपर भी किसी का ध्यान नही है ! कुछ समय बाद ये भी दूसरे की तरह खत्म हो जाएगा और शायद आने वाली कुछ पीढियाँ इसे देख ही ना पाएँ ! इसे देखभाल ,मरम्मत की जरूरत है ! ये गांव का गौरव है इसे गंवाने नहीं देना चाहिये !
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